Sunday, October 15, 2017

‘बेगुनाह’ हैं तलवार दंपित ? : आरुषि-हेमराज का हत्याकांड एक ‘अर्धसत्य’

आरुषि हेमराज हत्याकांड एक अर्धसत्य इसलिए क्योंकि आरुषि हेमराज की हत्या हुई ये सत्य है लेकिन इनका हत्यारा कौन है ये कोई नहीं जानता. बीतते वक्त के साथ भले ही 14 साल की आरुषि के खून के धब्बे बिस्तर से साफ हो चुके है. हेमराज के खून के धब्बे भी उस छत से गायब है जिस छप पर उसकी लाश मिली थी, लेकिन वो मुट्ठी भर लोग आज भी उस सूर्ख लाल खुन के धब्बों को भूला नहीं पाएं है, कानून आजतक आरुषि और हेमराज को न्याय नहीं दे पाया है.हर कोई ये जनाने को बेताब है कि आखिर आरुषि हेमराज का हत्यारा कौन है, हर कोई अपनी-अपनी सोच से इस हत्या का गुनहगार तय कर रहा है लेकिन इस हत्याकांड का असली दोषी जिसे निचली अदालत ने ठहराया उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये कहते हुए बरी कर दिया कि जांच एजेंसियों को पास पर्याप्त सबूत नहीं है तलवार दंपति को दोषी कहने के लिए. तलवार दंपति को निर्दोष इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इस मामले की जितने भी लोगों ने जांच की, उन सभी ने ये माना है कि तलवार दंपति को हत्या का दोषी मानने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं.
जांच में अलग-अलग तथ्य
इस दोहरे हत्याकांड की जांच कुल तीन अलग-अलग जांच दलों ने की थी. शुरूआती जांच नॉएडा पुलिस ने की, इसके बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और कुछ समय बाद इस टीम को बदलकर यह जांच सीबीआई की ही एक नई टीम को सौंप दी गई थी. दिलचस्प यह भी है कि इस मामले में देश की सर्वोच्च जांच संस्था की दो अलग-अलग टीम बिलकुल विपरीत दिशाओं में जाती दिखती हैं. सीबीआई की पहली टीम यह मान रही थी कि यह हत्याएं हेमराज के दोस्तों - कृष्णा, राजकुमार और विजय - ने की हैं. जबकि सीबीआई की दूसरी टीम ने माना है कि हत्याएं तलवार दंपति ने की हैं.

दो अलग- अलग पक्ष
सीबीआई की पहली टीम को कृष्णा, राजकुमार और विजय पर इसलिए शक था क्योंकि इन लोगों ने नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट में ऐसी कई बातें बोली थी जिसने यह पता लगता था कि ये लोग हत्या के दोषी हैं. दूसरी ओर डॉक्टर राजेश और नुपुर तलवार के नार्को या पॉलीग्राफ में ऐसी कोई भी बात सामने नहीं आई जिनसे इन लोगों के अपराध में शामिल होने की संभावना पैदा होती हो. इन टेस्टों के अलावा कृष्णा के कमरे से सीबीआई ने बैंगनी रंग का एक तकिया भी बरामद किया था जिस पर हेमराज के खून के निशान थे. यह सबूत इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ समझा जा रहा था. लेकिन जब यह मुद्दा अदालत में उठा तो नई सीबीआई टीम के अध्यक्ष ने इसे यह कहते हुए नकार दिया कि यह तकिया असल में हेमराज के ही कमरे से मिला था और टाइपिंग की गलती के चलते इस पर यह लिख दिया गया कि यह कृष्णा के कमरे से मिला है.
निष्पक्ष गवाहों ने बदले बयान
इस मामले को यह तथ्य भी कुछ रहस्यमयी बना देता है कि कई निष्पक्ष गवाहोंने भी इस मामले में अपने बयान बदले हैं. आरुषि और हेमराज के शवों का पोस्टमॉर्टेम करने वाले डॉक्टर. आरुषि का पोस्टमॉर्टेम डॉक्टर दोहरे ने किया था. पोस्टमॉर्टेम के दौरान उन्होंने आरुषि के निजी अंगों में कुछ भी असमान्य नहीं पाया था. आरुषि की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में भी ऐसा कुछ नहीं था जो बताता हो कि उस पर यौन हमला हुआ था या उसके निजी अंगों से कोई छेड़छाड़ हुई थी. पोस्टमॉर्टेम के बाद भी इस तरह की कोई बात डॉक्टर दोहरे ने न तो नॉएडा पुलिस को बताई थी, न सीबीआई को और न ही एम्स की उस डॉक्टरों की टीम को जिसके वे खुद भी सदस्य थे. लेकिन जब मामले की जांच सीबीआई की नई टीम करने लगी, जो तलवार दंपति को ही दोषी मान रही थी, तब पहली बार डॉक्टर दोहरे ने कहा कि आरुषि के निजी अंगों में असामान्य रूप से फैलाव था और ऐसा भी लग रहा था कि मरने के बाद भी उसके निजी अंग साफ़ किये गए हैं.डॉक्टर दोहरे का यह बयान पोस्टमॉर्टेम के लगभग डेढ़ साल बाद आया. पोस्टमॉर्टेम करने के बाद वे कुल पांच बार अपना बयान दर्ज करा चुके थे लेकिन ऐसी कोई भी बात उन्होंने पहले नहीं कही थी. कुछ ऐसा ही हेमराज के पोस्टमॉर्टेम के मामले में भी हुआ जो डॉक्टर नरेश राज ने किया था. उन्होंने भी पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में कुछ असामान्य दर्ज नहीं किया था लेकिन न्यायालय में बयान देते हुए उन्होंने कहा कि हेमराज के निजी अंग में सूजन था जिससे ये शक होता है कि उसकी हत्या सेक्स करते हुए या उससे ठीक पहले की गई थी.
कई सवालों के जवाब गायब ?
आरुषि हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपति को हुई सजा पर इसलिए भी सवालिया निशान लगता रहा क्योंकि इस मामले में कई गंभीर सवालों के जवाब न तो जांच के दौरान जांचकर्ता ढूंढ पाए और न ही न्यायालय में अभियोजन पक्ष साबित कर पाया. जैसे ये सवाल कि हेमराज की मौत कहां हुई? अभियोजन की कहानी के अनुसार हेमराज और आरुषि, दोनों की हत्या आरुषि के कमरे में हुई थी. लेकिन आरुषि का कमरा, जहां उसका खून बिखरा पड़ा था, वहां हेमराज के खून का एक भी निशान नहीं था. इससे यह तो साफ़ था कि हेमराज की हत्या कहीं और की गई थी. हेमराज का शव घर की छत से बरामद हुआ था. विशेषज्ञों ने जब इस जगह और हेमराज के शव का परीक्षण किया तो पाया कि उसके शव को किसी चादर में रखकर छत पर घसीटा गया था. इस कारण विशेषज्ञों ने माना कि हेमराज को छत पर भी नहीं मारा गया था. क्योंकि यदि उसकी हत्या छत पर ही हुई होती तो हत्या करने वाले को उसकी लाश घसीटने के लिए पहले उसे चादर में रखने की जरूरत नहीं पड़ती. घर के बाकी किसी हिस्से में भी हेमराज का खून नहीं था इसलिए यह तथ्य भी एक रहस्य ही है कि उसे कहां मारा गया.
वो तथ्य जिसने तलवार दंपति का पक्ष मजबूत किया
राजेश और नुपुर तलवार के कपड़े भी उनके निर्दोष होने की संभावना बताते हैं. हत्या होने से कुछ ही घंटे पहले आरुषि ने अपने कैमरे से कुछ तस्वीरें ली थीं. इन तस्वीरों में जो कपड़े राजेश और नुपुर तलवार पहने हुए दिख रहे थे, वही कपड़े उन्होंने अगली सुबह भी पहने हुए थे. इन कपड़ो में कहीं भी हेमराज के खून के निशान नहीं थे. आरुषि का खून इनमें जरूर था लेकिन जांचकर्ताओं ने भी यह माना है कि यह खून तब लगा होगा जब वे अपनी बेटी की लाश से लिपट कर रो रहे थे.
कमजोर तर्क और तथ्य बने बेगुनाही का कारण
सजा सुनाने से पहले जब निचली अदालत ने 39 सरकारी गवाहों, सबूत के 247 नमूनों, विशेषज्ञों की सैकड़ों रिपोर्टों, अभियोजन के हजारों दस्तावेजों और दोनों पक्षों की अनगिनत दलीलों को परखा तो माना कि इस मामले में भले ही कोई सीधा सबूत यह नहीं कहता कि हत्याएं तलवार दंपति ने ही की हैं लेकिन कई सबूत ये जरूर कहते हैं कि ये हत्याएं उनके अलावा किसी और ने नहीं की. इसलिए न्यायालय ने माना कि इस मामले में कुछ खामियों के बावजूद भी तलवार दंपति को संदेह का लाभ नहीं दिया जा सकता. लेकिन सीबीआई अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय ने गलत माना और तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया है.


इस पूरी घटना में एक बात साफ है कि 9 साल पहले हुई आरुषि की हत्या की बार बार सिस्टम भी हत्या ही कर रही है तो ऐसे में सवाल है कि अब सीबीआई क्या करेगी ? क्या सीबीआई नए सिरे से जांच करेगी ? क्या सीबीआई तलवार दंपति को ही दोषी मानकर आगे बढ़ेगी? क्या सीबीआई कोर्ट के फटकार के बाद दूसरे पहलुओं पर भी ध्यान देगी क्या सीबीआई आरुषि और हेमराज को इंसाफ दे पाएगी ? या फिर सीबीआई को किसी विदेशी जांच एजेंसी की सहारा लेना होगा ?  

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