यूपी को नया सियासी
सवेरा मिल चुका है, प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी यूं तो जश्न में डूबी
है लेकिन अंदरखाने बेचैनी सत्ता को संभालने को लेकर है, ये कहने के पीछे कारण भी
है क्योंकि बीजेपी को उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में साफ बहुमत मिला तो वहीं गोवा
और मणिपुर में बीजेपी बहुमत के मामले में पीछे रह गई, लेकिन जहां बहुमत नहीं मिला
वहां के सीएम का चेहरा तय कर दिया गया, गोवा में तो मनोहर पर्रिकर ने शपथ तक ले ली
लेकिन बीजेपी ये कमाल उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में नहीं दिखा पाई, हम बात उत्तरप्रदेश में बीजेपी को मिले बहुमत पर करेंगे और ये समझने की कोशिश करेंगे की
बीजेपी के सामने कौन कौन सी और कैसी चुनौतियां हैं . सबसे पहले बात यूपी में बीजेपी
के सीएम चेहरे की करें तो पूर्व सीएम और केंद्र में मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह की
चर्चा सबसे ज्यादा है . लेकिन खबर ये भी है कि राजनाथ यूपी की कमान नहीं चाहते, ऐसा
करने के पीछे दो कारण हैं पहला तो ये की वो केंद्र की राजनीति में खुद को ज्यादा
फिट पाते हैं और दूसरा ये कि अगर वो खुद यूपी की कमान संभालेंगे तो फिर
नवनिर्वाचित विधायक पंकज सिंह जो गृहमंत्री के बेटे हैं उनको कैबिनेट में जगह दे
पाना बेहद मुश्किल होगा .. इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, यूपी बीजेपी के
प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, हिन्दुत्व के पोस्टर बॉय योगी आदित्यनाथ, अमित
शाह के करीबी और संघ के नेता स्वतंत्र देव सिंह से लेकर मथुरा सीट से चुनाव जीते
श्रीकांत शर्मा, इलाहाबाद पश्चिम से चुनाव जीतकर आए पूर्व पीएम लाल बहादुर
शास्त्री के नाती सिद्धार्थनाथ सिंह के नामों की
चर्चा यूपी के बाजार में सीएम की कुर्सी के लिए गर्म है,....हर नाम की अपनी खूबी
है ऐसे में पार्टी किस पर दांव लगाती है ये बड़ा दिलचस्प होगा ?
जाहिर है यूपी में
जो प्रचंड बहुमत बीजेपी को मिला है उसको लेकर पार्टी के उपर खासा दबाव भी है कि उस
बहुमत को कैसे संभाला जाए और साथ ही पार्टी में भी एकजुटता बनाई रखी जाए..पार्टी
ऐसे नेता को समाने लेकर आना चाहती है जिसको लेकर सर्वसहमति हो साथ ही वो अच्छा
प्रशासक भी हो...वहीं सीएम की बात से आगे बढ़े तो बीजेपी के सामने कई और चुनौतियां
है जैसे कि चुनाव के वक्त सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट मीटिंग में किसानों की
कर्ज माफी से लेकर, बूचड़खानों पर तालेबंदी की बात कही हो या फिर सभी कॉलेज, यूनिवर्सिटी में फ्री वाई-फाई का वादा
हो, फ्री लैपटॉप के साथ 1 जीबी डाटा, 24 घंटे बिजली, 15 मिनट में आपके दरवाजे पर पुलिस, राम
मंदिर, तीन
तलाक और एंटी रोमियो दल जैसे मुद्दे बीजेपी के लिए खासा परेशानी का सबब बन सकते हैं
लेकिन एक चुनौती बीजेपी के सामने इस बात की भी है कि वो अपने कद्दावर नेता और देश
के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों की लाज रखे, क्योंकि यूपी में चुनाव के
वक्त बीजेपी के लिए पीएम मोदी ही चेहरा थे और चुनाव बाद मिले बहुमत पर बीजेपी ने
पीएम को ही केड्रिट दिया है ऐसे में पीएम मोदी की लाज रखना भी बीजेपी के विधायकों
के लिए चुनौती है.... हम ये इसलिए भी कह रहे है क्योंकि अभी यूपी में विधायकों ने
शपथ तक नहीं ली है और ऐसे में विधायकों की दबंगई की खबर सामने आने लगी है..यूपी के
हरदोई जिले की सवायजपुर विधानसभा से विधायक
बने माघवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ 'रानू' पर वहीं के पुलिस अधिकारी जो इलाके के सीओ हैं
उनको फोन पर जमकर खरी खोटी सुनाने और धमकाने का मामला सामने आया है और इस पूरे
घटनाक्रम का ऑडियों भी वायरल हो गया है...ऐसे में सवाल है कि जो नेता चुनाव से
पहले पीएम मोदी के नारों पर दम भरा करते थे वहीं नेता चुनाव के बाद पीएम मोदी की
बातों का लाज लिहाज भूल गए है..
दिल कि लिखें तो कहां लिखें ...यहां लिखें कि वहां लिखें ..हमारी कलम में अगर हो स्याही किसी और की, तो फिर लिखें तो क्या लिखें।
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