Friday, February 19, 2016

बीजेपी: एक भटकी हुई पार्टी


नमस्कार मैं ऋषि राज ,आज आपके सामने एक ऐसे विषय पर बात करने  जा रहा हूं जिसके बारे में हर कोई बात करने से कतराता है । देश का मिजाज राजनैतिक  और भावनात्मक है हम लोग अकसर इसमें बह जाते है । आखिर क्यो मुझे बीजेपी को भटका हुआ कहना पड़ रहा है  इसके मैं आपको पुख्ता तर्क भी देने जा रहा हूं ।
  तेल- सबसे पहले देश में मौजूदा सरकार की बात करता हूं। जब एनडीए विपक्ष में थी लगातार यूपीए सरकार को  तेल के मामले पर निशाने  पर रखती थी । जब तेल के दाम बढ़ते तो विपक्ष आग बबूला होकर तंज कसता कि क्या अब तेल देश के प्रधानमंत्री के उम्र को पार करेगा ? किस्मत का फेर देखिए  जब देश में चुनाव हुए और सत्ता बदली तो पट्रोल डीजल कि  आसमान छूती कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में जमीन के बराबर आ गयी। जिसका फायदा आपको सीधे मिल सकता था वह फायदा सरकार उठा रही है । मौजूदा तेल की कीमत पिछली सरकार के मुकाबले तो कम है लेकिन जितना फायदा जनता को मिलना चाहिए था उसको एक्साईज ड्यूटी लगा कर रोक दिया गया। मौजूदा क्रूड ऑयल की कीमत 27 डॉलर है जिसके मुताबिक पेट्रोल 45 रूपये और डीजल 35 रूपये के आस-पास बिकना चाहिए था लेकिन देश की जनता अब मौज में है उन्हें अब तेल की कीमत से फर्क नहीं पड़ता और वो जो पार्टी विपक्ष में रहकर देश की जनता को मंहगाई की मार से बचाने की हुंकार भरती थी वो सत्ता में आकर जनता को मिलने वाले हक पर कुंडली मार के बैठ गयी है ।
  असहिष्णुता – देश में इस विषय को लेकर जबरदस्त तरीके से बहस हो रही है । कोई पक्ष में है तो कोई विपक्ष में है लेकिन सबसे बड़े पहलु पर कोई गौर करना ही नहीं चाहता । अब आप बताईये पूरा का पूरा देश असहिष्णु कैसे हो सकता है ? हा हमारे देश में एक वर्ग तो शुरू से है जो दमन पर भरोसा रखता है । वो वर्ग सोशल मीडिया पर गाली-गलौज और अखबार –टेलीवीजन के जरीए लोगो को भड़काने का सदैव प्रयास करते रहते है । देश की सरकार का मनना है कि देश में सब कुछ अच्छा है तो उन्हें दादरी की घटना को देखना चाहिए जहां केवल इस शक के आधार पर कि उसने गौ मांस खायी है उस मुसलमान को पीट-पीट कर मार दिया जाता है । तो वही विपक्ष आरोप लगाता है कि ये सरकार मुसलमानो को खिलाफ है तो उन्हें मालदा कि घटना देखनी चाहिए जहां 2 लाख मुस्लिम जमा होकर 30 गाडीयों और पुलिस थाना को आग लगा देते है सिर्फ इसलिए क्योकी एक व्यक्ति नें उनके पैगम्बर को गे  कह दिया । पूरे देश में मुस्लिम समुदाय उसे फांसी पर चढ़ाने की मांग करता है जबकि कानून के तहत उसकी गिरफ्तारी हो चुकी होती है । पुणे में एक लड़के का हाथ कुछ मुस्लिम इसलिए काट देते है क्योकी वो हिंदु है । असहिष्णु हमेशा से हमारे देश का एक वर्ग रहा है जो अलग-अलग धर्मो से आते है । ये वो लोग है जो आपके विचार से असहमत होकर आपसे गाली-गलौज करते है और आपको पाकिस्तान भेजने तक की धमकी भी दे देते है । अक्सर ऐसे लोग ये भूल जाते है कि एक आजाद लोकतांत्रिक देश का अर्थ ही ये है कि अगर आप कोई बात रखनी चाहते है तो बिना किसी भय के वो बात आप कह सके ।आप असहमत भी है तो उसे धर्य रख कर सुने । हाल ही में शाहरूख खान और आमिर खान के बयान के बाद जैसे लोगो ने उनसे बर्ताव किया वो असहिष्णुता को सही साबित करता है लेकिन विपक्षी पार्टी ने बिहार राज्य का जैसे ही चुनाव जीता वैसे ही असहिष्णुता पर चर्चा से मन भर गया ।
 देशभक्ति – जी देश की मौजूदा  बीजेपी सरकार के मंत्री और उनके समर्थक  हर बात को ऐसे रंगने की कोशिश करते है कि उनकी सरकार अब तक की सबसे बड़ी देशभक्तों की सरकार है । हर बात को देश से जोड़ना कोई इन लोगो से सीखे। देश में ऐसा महौल खड़ा किया जा रहा जिसके तहत लोगो को ये सगने लगा है कि मौजूदा सरकार की विचारों से असहमति रखना देश से गद्दारी जैसा है । राष्ट्रहीत और देश प्रथम की बात करने वाली बीजेपी कश्मीर पहुंचते ही देशभक्ति भूल गयी और अलगाववादियो को हमेशा से एक पक्ष मानने वाले पीडीपी से हाथ मिलाकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बना लेती है और हर जुम्मे को वहां आईएसआईएस और पाकिस्तान के झंडे को लहराया जाते है जिसे वो सत्ता के लोभ में बर्दाशत करते रहती है । मौजूदा सरकार के मंत्री और समर्थक बात-बात पर देशभक्ति का सर्टीफिकेट बांटते है लेकिन  देश के समझदार नागरिको को यह समझना जरूरी है कि हिन्दुवादी होना आपके देशभक्त होने का प्रमाणपत्र नहीं है। देशभक्त तो कोई भी हो सकता है चाहे वो हिन्दुवादी हो, सेक्युलर हो, वामपंथी हो या फिर मानवधर्म की बात करने वाला हो ।देशभक्त होने के लिए सबसे पहले आपको अपने देश कि अखंडता के बारे में सोचना होता है नाकि आप हिन्दु राष्ट्र की सिफारीश करे या फिर सरीयत के कानून को लागू करवाना आपकी ख्वाहिश हो ।
सरकारी नीति- देश कि सरकार  इन दिनों ऐसी स्थिती में जा पहुंची जा उसके सामने एक पथ नहीं अनेक पथ है लेकिन वो सारे के सारे पथ अग्निपथ है। बीजेपी जबसे सत्ता में आयी है वो लगातार विचारधारा की चक्रव्यूह में फंसी हुई हैं। सत्ता में आते वक्त बीजेपी विकास की विचारधारा के साथ खड़ी थी लेकिन बीतते वक्त के साथ विकास की प्रथमिकता कम हुई और बीफ़ के मुद्दे पर सरकार चल पड़ी तो कभी सरकार के मंत्री राम मंदिर का विकास चाहती है तो कभी हिन्दुवादी संगठनो के सामने घुटने टेकती नजर आती है । मोदी जी ने सत्ता पाने के लिए देश से वादा किया कि ये जो सरकार है वो उनके चौकीदार है लेकिन उन्ही की चैकीदारी में सुषमा स्वराज से लेकर अरूण जेटली पर गंभीर आरोप लगे तो वही शिक्षा मंत्री अपने तौर तरीके से लेकर एक एबीभीपी संगठन के पक्ष में काम करने के आरोप से घिर गयी । हाल ही में हैदराबाद विश्वविधालय में रोहित वेमुला के आत्महत्या को लेकर भी शिक्षा मंत्रालय लगातार निशाने पर रहा । रोहित  सहित कई छात्रों पर कारवाई के लिए शिक्षा मंत्रालय ने 26 दिन मे ही 3 चिठ्ठी लिख दी तो वही इसी सरकार के नागरिक उदायन  मंत्री बंडारू दत्तात्रय  भी इस मामले में निशाने पर रहे और उनके उपर छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा और इस मामले में उनपर मुकदमा हो गया । सरकार ने इस मामले पर अपने मंत्रियो पर कोई कारवाई नहीं की और तो और सरकार छात्र की जाति से लेकर जांच समीति का बात में झुठ बोलते हुए पकड़ी गयी । खुद को देश का चौकीदार कहने वाले पीएम मोदी विकास की बात करते है लेकिन उनके मंत्री उटपटांग बयान देते रहते है जिसपर पीएम चुप्पी साधे रखते है जिस वजह से उनके मंशा पर लगातार सवालिया  निशान लगता आ रहा है । बीजेपी विपक्ष में रहकर  पाकिस्तान को लगातार निशाने पर रखती है लेकिन सत्ता में आते ही बीजेपी भटक गयी और लगातार हमले के बाद भी पाकिस्तान से दोस्ती के लिए प्रतिब्दध दिख रही है । विपक्ष में रहते हुए किसानों के लिए फिक्रमंद दिखती पार्टी सत्ता में आने के बाद किसान के लिए कई योजना तो लाती है लेकिन कर्ज किसानो का माफ करने के जगह उद्योग्पतीयो का करती है ।देश के युवाओ के लिए कई प्रोग्राम लॉंन्च करती है लेकिन उसे धरातल में उतारने में असफल दिखती है ।मनरेगा को लूट का अडडा मानने वाली बीजेपी सत्ता में आने पर उसका बजट कम कर देती है लेकिन एक साल बाद उसी मनरेगा को और बढावा भी देती है ।


        मेरी इन बातों के बाद भी आपको अगर यह महसूस नहीं हुआ कि  बीजेपी की सरकार एक भटकाव से जुझ रही है तो यह मेरी गलती है कि मैं आपको समझाने में नाकाम हुआ ।  आप इस लेख से जो भी समझे अगर यह न समझ पाये कि आपने वोट जिसको दिया, जिस मुद्दे पर दिया वह मुद्दा ही गायब हो रहा है तो आपको सरकार के बारे में पडताल करने की जरूरत है साथ ही यह भी जांच लीजिएगा कि कही आप भक्तेश्वर तो नहीं बन गये है । सरकार के गलत कामों का आप विरोध नहीं करते तो देश में हो रही गलत घटनाओं की जितनी जिम्मेदारी सरकार की है उतनी आप की भी है । तय किजीए आप भक्त एक पार्टी के लिए है या देश के लिए ?
-ऋषिराज

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