देश में जब आंन्दोलन हुआ
,लोग एक के साथ एक जुड़ते चले गये तब किसी ने भी सोचा ना था कि अन्ना के प्रिय
शिष्य केजरीवाल उर्फ मौजूदा दौर में दिल्ली के सीएम और मफलरमैन देश में अपनी
पार्टी खड़ी करने जा रहे है । खैर,पार्टी बनी और महज कुछ महीनों में जादूई तरीके
से पार्टी ने दिल्ली चुनाव में मैदान मार लिया ,49 दिनों तक सत्ता में रह कर
लोकपाल के मसले पर इस्तीफा दे दिया , लोकसभा चुनाव लड़ा ,बुरी हार हुई ,पार्टी
टूटती चली गयी फिर से दिल्ली चुनाव में ऐसी जीत जिसने मोदी जैसे नेता को हरा कर 70
में से 67 सीटों पर कब्जा कर लिया और फिर पार्टी के बुरे दिन शुरू हुए । दुबारा सत्ता में आये केजरीवाल को कुछ दिन ही
हुए थे कि पार्टी के अंदर चल रहीं लड़ाई पूरे देश के सामने आ गयी। पहले केजरीवाल
का स्टिंग सामने आया जिसमें वो कांग्रेस के 6 मुसलमान विधायकों को तोड़ने की बात
कह रहे थे, फिर योगन्द्र यादव, प्रंशात भूषण और केजरीवाल गुट का आर-पार की लड़ाई
का ऐलान होना । जिस नेता ने पार्टी के अंदर वैचारिक ढ़ाचा खड़ा किया और जिसने रात –रात भर बैठ कर पार्टी का संविधान लिखा, वो दोनो
ही पार्टी के पार्दशिता पर सवाल खड़े कर रहे है तो दूसरी तरफ केजरीवाल गुट उन पर
पार्टी विरोधी गतिवीधी करने और केजरीवाल के खिलाफ मौहल बनाने का आरोप लगा रहा है ।
इन सब के बीच योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी, राष्ट्रीय कार्यकारणी और
प्रवक्ता के पद से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है और अब सुत्रों की माने तो
उन्हें जल्द ही पार्टी से भी निकाला जा सकता हैं ।
वहीं इस पूरे मसले पर
केजरीवाल की चुप्पी इस ओर इशारा करती है कि इस सब गतिवीधीयों को केजरीवाल की
मंजूरी हैं । इन सब के बीच पार्टी के कार्यकर्ता अधर में है कि आखिर पार्टी के
अंदर हो क्या रहा है और केजरीवाल इन सब के रोक थाम के लिए कुछ कर क्यों नहीं रहे
हैं । ऐसे में केजरीवाल का अपशब्दों से भरा ओडियों टेप सामने आ जाना एक और बवाल
खड़ा कर गया । पार्टी के अंदर केवल प्रशांत और योगेन्द्र यादव के उपर ही कारवाई नहीं
हई बल्कि इस दौर में जो कोई भी योगेन्द्र यादव और
प्रशांत भूषण के साथ खड़ा होता चला गया या फिर केजरीवाल को
जिस किसी ने भी प्रशन उठाकर तानाशाह कहने कि कोशिश की उसे भी पार्टी ने निंलबित कर
दिया या फिर उसे पार्टी के अंदर हाशिये पर ढ़केल दिया गया । राष्ट्रीय कार्यकारणी
के दिन भी केजरीवाल पर कई आरोप लगे जिसमें योगेन्द्र यादव ने एक आरोप यह भी लगाया कि केजरीवाल भड़काउ भाषण दे रहे थे जिस वजह से
कुछ लोगों ने उनके समर्थकों की पिटाई कर दी । बाद में पार्टी ने एक सम्पादित वीडियो
जारी किया जिसमें केजरीवाल खुद पर लगे आरोपों के विपरीत दिखाई दे रहे थे। पार्टी
के अंदर चल रहीं लड़ाई से सबसे ज्यादा नुकसान पार्टी को ही हो रहा है । मेधा पाटकर
और अंजलि दमानिया जैसे नेताओं ने तो पार्टी ही छोड़ दी तो वहीं अपने पार्टी के
लोकपाल एडमिरल रामदास को भी चलता कर लोकपाल में तीन लोगों की समीति बना दी ।जिसके
बाद एडमिरल रामदास ने पार्टी के संयोजक को पत्र लिखकर कइ गंभीर सवाल खड़े किये । पार्टी के अंदर चल
रही उठा पटक ने दिल्ली में हाशिये पर पड़े विपक्ष को खड़ा होने का एक मौका तो जरूर
दे दिया है । खबरों के बाजर में एक खबर और हवा में है कि योगेन्द्र यादव और प्रंशात
भूषण आम आदमी पार्टी के बागी और दुखी कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन कर नई पार्टी
बनाने की घोषणा कर सकते है । हालांकि योगेन्द्र यादव ने इन अटकलों को खारिज करते
हुऐ कहा है कि वो अभी पूरे देश में घूमना चाहते है और लोगो का मूड जानना चाहते है
उसके बाद ही वो कोई फैसला करेंगे ।
अब सब के मन में एक सवाल जो बार–बार जुबांन पर
भी आ रहा है कि क्या वाकई केजरीवाल सब कुछ अपने हाथ में रख कर आम आदमी से खास आदमी हो चले है या
फिर केजरीवाल का जादू फीका पड़ता जा रहा है जिस वजह से पार्टी के नेता अब अपनी चमक
और रंग में पार्टी को रंग देना चाहते है ?
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